हिंदी में मीर तकी मीर की उर्दू उदास ग़ज़ल || Kab tak ji rukay khafa hove?||कब तक जी रके खफा होए || Urdu Sad Poetry

हिंदी में मीर तकी मीर की उर्दू उदास ग़ज़ल

 

 कब तक जी रके खफा होए

आह करिए कि टक हुआ होए


जी ठहर जाए या हुआ होए

देखिए होते होते क्या होए


कर नमक सौद सीने मजरूह

जी में गर है कि कुछ मजा होए


काहिश दिल की कीजिए तदबीर

जान में कुछ भी जो रहा होए


चुप का बाईस बे-तमन्नाई

कहिए कुछ भी तो मुद्दा होए


बेकली मारे डालती है नसीम

देखिए अब के साल क्या होए


मर गए हम तो मर गए तो जी

दिल गरफ्ता तेरी बला होए


इश्क़ क्या है दरस्त अए नासिह

जाने वो जिस का दिल लगा होए


फिर न शैतान सज्द आदम से

शायद इस परदे में खुदा होए


ना सुना रात हमने एक नाला,

गालिबां   मीर  मर रहा होवे।            

मीर तकी मीर

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