Meer Taqi Meer Best Urdu Sad Ghazal in Hindi ||ग़ालिब कह के ये दिल ख़स्ता शब-हिज़्र में मर जाए,|| Urdu Sad Poetry

मीर तकी मीर बेस्ट सैड उर्दू ग़ज़ल हिंदी में

Meer Taqi Meer Best Urdu Sad Ghazal in Hindi

ग़ालिब कह के ये दिल ख़स्ता शब-हिज़्र में मर जाए,

ये रात नहीं वो जो कहानी में गुज़र जाए।


है तरफ़ा मुफ़तन-निगाह उस आईना-रू की,

एक पल में करे सौड़ों ख़ून और मक़्र जाए।


ने बत कदा है मंज़िल-मक़सूद न का'बा,

जो कोई तलाशी हो, तेरा आह कहाँ जाए।


हर सुबह तो ख़ुर्शीद तेरे मुँह पे चढ़े है,

ऐसा न हो ये सादा, कहीं जी से उतर जाए।


याक़ूत कोई उन को कहे है कोई गुलबरग,

टक होंट हिला तो भी के एक बात ठहर जाए।


हम ताज़ा शहीदों को न आ देखने नाज़ां,

दामन की तेरी ज़ोह कहीं लोहू में न भर जाए।


गरिये को मेरे देख टक एक शहर के बाहर,

एक सतह है पानी का जहां तक के नज़र जाए।


मत बैठ बहुत इश्क़ के आज़र्दा दिलों में,

नाला किसो मज़्लूम का तासीर न कर जाए।


इस वर्ते से तख़्ता जो कोई पहुँचे किनारे

तू मीर वतन मेरे भी शायद यह खबर जाये

मीर तकी मीर

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