मीर तक़ी मीर की सबसे बेहतरीन उदास ग़ज़ल || फ़क़ीराना आए सदा कर चले || Urdu Sad poetry in Hindi || Urdu Sad Poetry

मीर तक़ी मीर की सबसे बेहतरीन उदास ग़ज़ल

 फ़क़ीराना आए सदा कर चले,

के मियां खुश रहो, हम दुआ कर चले।


जो तुझ बिन ना जीने को कहते थे हम,

सो उस आहद को अब वफ़ा कर चले।


शिफ़ा अपनी तकदीर में ही न थी,

के मुकद्दर तक तू दवा कर चले।


पढ़े ऐसे सबब पायान कार,

के नाचार यूं जी जला कर चले।


वो क्या चीज़ है आह जिस के लिए,

हर एक चीज़ से दिल उठा कर चले।


कोई नाउम्मीदाना करते निगाह,

सो तुम हम से मुंह भी छुपा कर चले।


बहुत आरज़ू थी गली की तेरी,

सो यां से लहू में नहा कर चले।


दिखाई दिए यूं के बेख़ुद क्या,

हमें आप से भी जुदा कर चले।


जबीं सजदा करते ही करते गई,

हक़ बंदगी हम अदा कर चले।


परस्तिश की यां तक के अए बुत,

तुझे नज़र में सभूं की ख़ुदा कर चले।


झड़े फूल जिस रंग गुलबन से यूं,

चमन में जहां के हम आ कर चले।


न देखा ग़म दोस्तां शुक्र है,

हमें दाग़ अपना दिखा कर चले।


गई उम्र दरबंद फ़िक्र-ए-ग़ज़ल

सो इस फ़न को ऐसा बड़ा कर चले


कहीं क्या जो पूछे कोई हमसे मीर

जहाँ में तुम आए थे, क्या कर चले

                               मीर तकी मीर 


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